प्रेमानंद जी महाराज: कैसे बनें संन्यासी, क्या है असली नाम, जानिए...

 

Premanand Ji

 Maharaj: प्रेमानंद जी

 महाराज कैसे बनें

 संन्यासी, क्या है असली नाम,

 जानिए वृंदावन वाले

 प्रेमानंद महाराज  का रोचक

 जीवन परिचय

Premanand Ji

 Maharaj: प्रेमानंद जी

 महाराज कैसे


 बनें    संन्यासी, क्या है असली


 नाम, जानिए वृंदावन


 वाले    प्रेमानंद   महाराज  का

  रोचक जीवन :-

https://bgsharmamaths.blogspot.com/2023/10/Premanand-Ji-Maharaj.html?m=1



दुनिया में लाखों का मेला लगा 

हंसा जब-जब उड़ा अकेला उड़ा


प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज  जन्म उत्तर प्रदेश   के कानपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ प्रेमानंद  जी के बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे हैं उनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे है उनके पिताजी एक किसान थे और आध्यात्मिक गहरी रुचि रखते थे एवं साधु संतों का बहुत सम्मान करते थे और इनकी माता का नाम श्रीमती रामादेवी है ।


 प्रेमानंद जी महाराज श्री राधा रानी की भक्ति करतेहैं उनकी उम्र लगभग 60 वर्ष है और इनका जन्म स्थान आखिरी गांव कानपुर उत्तर प्रदेश में स्थित है


 प्रेमानंद जी महाराज के गुरु श्री हित गोविंद शरण जी महाराज हैं इसलिए इन्हें श्री हित प्रेमानंद जी
 महाराज (shri hit premanand ji maharaj) भी   कहते हैं।


premanand ji maharaj photo 

प्रेमानंद जी महाराज: कैसे बनें संन्यासी, क्या है असली नाम, जानिए...



प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में कहां रहते हैं ?

(Premanand ji Maharaj Ashram Address)


Rasmay Kirtan, Pad Gayan, & Satsang by - Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj

From - Shri Hit Radha Keli Kunj , Near Bhaktivedanta Hospice , Parikrama Marg, Varaha Ghat, Vrindavan

प्रेमानंद जी महाराज का पूरा नाम श्री अनिरुद्ध कुमार पांडे है 1963 में उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था व  वर्तमान में उत्तर प्रदेश के वृंदावन मथुरा के केली कुंज मैं भगवान कृष्ण महाराज के आश्रम में रहते हैं।

प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन


(Premanand ji Maharaj Vrindavan)

श्री प्रेमानंद जी महाराज वर्तमान में वृंदावन के कई कुंज आश्रम में रहते हैं जहां पर वे अपने शिष्यों के साथ संपूर्ण विश्व को आध्यात्मिक ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं श्री प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार जीवन का उद्देश्य भगवत प्राप्ति करना है अर्थात भगवान की भक्ति के माध्यम से भगवान को प्रसन्न कर उनके दर्शन करना है एवं जीवन मरण के चक्र से मुक्त होना है एवं मोक्ष को पाना है।

premanand ji maharaj age

श्री प्रेमानंद जी महाराज की उम्र लगभग 60 वर्ष से है वह वर्तमान में राधा रानी के सबसे परम भक्तों में से एक हैं उन्हें स्वयं राधा रानी एवं कृष्ण भगवान के दर्शनों के भी अवसर मिले हैं।

प्रेमानंद जी महाराज किडनी

प्रेमानंद जी महाराज की दोनों किडनी फेल हैं और डॉक्टर ने महाराज जी को आज से 20 वर्ष पहले यह कहा था कि आप सिर्फ दो से तीन  साल के लिए जीवित रहेंगे और सबसे बड़ा चमत्कार तो यही है कि आज भी वे जीवित है और एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह अपनी दिनचर्या व्यतीत करते हैं और संपूर्ण मानव जाति को अपने प्रवचनों के द्वारा शीतलता एवं शांति प्रदान करते हैं।  किडनी फेलियर की बीमारी आमतौर पर 30 वर्ष के बाद शुरू होती है इसी बीमारी की वजह से किडनी डैमेज होने लगती है और इसकी वजह से किडनी फेलियर की समस्या होती है किडनी फेल्योर के बाद मरीज को डायलिसिस पर रखा जाता है। प्रेमानंद जी महाराज भी किडनी फेल्योर के बाद डायलिसिस पर रहते हैं। इसीलिए प्रेमानंद जी महाराज का स्वास्थ्य कभी-कभी खराब हो जाता है और वह अपने भक्तों को दर्शन देने नहीं पहुंच पाते हैं लेकिन वह अपने शरीर की पीड़ा को सहन करते हुए अपने भक्तों के लिए एक बार जरूर दर्शन देने आते हैं चाहे उन्हें किसी वाहन का सहारा लेना ।

प्रेमानंद महाराज का जीवन परिचय


प्रेमानंद जी महाराज का पुराना नाम श्री अनिरुद्ध पांडे हैं उनके पिता एक किसान थे जिनका नाम शंभू पांडे हैं ब्राह्मण परिवार होने के कारण इनका बचपन भी अध्यात्म में बीता और उनकी माता का नाम  रामादेवी है। प्रेमानंद जी महाराज राधा रानी के परम भक्तों में से एक हैं इनकी उम्र लगभग 60 वर्ष है और इनका जन्म स्थान है कानपुर उत्तर प्रदेश में अस्तित्व है श्री प्रेमानंद जी महाराज के गुरुदेव भगवान श्री हित गोविंद शरण जी महाराज हैं।


 श्री प्रेमानंद जी महाराज बाबाजी कैसे बने इस बात का उत्तर उन्होंने स्वयं अपने भागवत चर्चा में बताया की वह जब कक्षा 5 में पढ़ते थे तो उनके मस्तिष्क में यह सुनने को आया कि एक दिन सब मर जाएंगे मां भी मर जाएगी पिता भी मर जाएगा चाचा  पूरा परिवार तब महाराज जी ने सोचा की सब मर जाएंगे तो हम प्रेम किस करेंगे एक तो ऐसा होना चाहिए जो मरते दम तक हमारे साथ रहे। जैसा कि हम जानते हैं महाराज जी का जन्म एक ब्राह्मण कुल में होने के साथ ही इनका परिवार है वह आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाला था तब महाराज जी भी दुर्गा चालीसा हनुमान चालीसा एवं अन्य देवी देवताओं की उपासना करते थे एवं पूजा पाठ करते थे एवं धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करते थे उन पुस्तकों में महाराज जी ने पढ़ा कि इस संसार में केवल मात्र भगवान ही हैं जो मनुष्य के प्रत्येक क्षण साथ रहते हैं एवं मरते दम तक साथ है रहते हैं एवं करने के बाद भी साथ रहते हैं तभी महाराज जी ने नीचे कर किया कि हमें तो भगवान की शरण में जाना है एवं सच्चा प्रेम उन्हीं से करना है साथ ही वे यह भी मानते हैं कि पूर्व जन्म का ऐसा कुछ कम किया हुआ था जिसे भगवान ने मुझे अपनी शरण में बुला लिया।


 और जब भी कक्षा 9 में थे तब 13 वर्ष की अवस्था में वे घर का त्याग कर पैदल काशी जी की ओर रवाना हो गए और वहीं से श्री प्रेमानंद जी महाराज जी के एक परम संत योगी बनने की कहानी प्रारंभ हो जाती है । जब महाराज जी बचपन में विरक्त संत बने थे तब एक संत महात्मा ने उन्हें एक प्रवचन दिया की बेटा इस मन को अपने अधीन कर लेना फिर तुम्हारी मंजिल तुम्हारे पास होगी वे संत महात्मा पहले भी महाराज जी के घर में जाया करते थे। उसके बाद महाराज जी ने वर्षों तक काशी जी में रहकर काशी जी के घाटों में भगवान शंकर की आराधना की और भगवान महादेव ने भी महाराज जी भक्ति पर प्रसन्न होकर दर्शन दिए और उसके बाद एक दिन श्री प्रेमानंद जी महाराज एक संत महात्मा के साथ है राधा कृष्ण भगवान की रासलीला अर्थात एक नाटक देखने को गए थे श्री प्रेमानंद जी महाराज जी कहते हैं कि वहीं से उनका प्रथम झुकाव श्री राधा रानी जी की चरणों की ओर हुआ फिर महाराज जी ने अपने गुरुदेव भगवान से श्री राधा रानी अर्थात अपने इश्क की गुरु दीक्षा प्राप्त की और राधा रानी महारानी की पूजा आराधना में लग गए एवं उन्हें भी प्रसन्न कर लिया और श्री राधा रानी बृज महारानी ने भी श्री प्रेमानंद जी महाराज को दर्शन दिए। उनका कहना है कि भगवान को पाना है तो उनके नाम को निरंतर जपते रहिए जय श्री राम कृष्ण राधा इनमें से कोई भी एक नाम पदकर उसे जागते रहिए सच्ची श्रद्धा एवं भाव से भगवान एक ने एक दिन जरूर आपके दर्शन देंगे और आपका संपूर्ण जीवन सार्थक हो जाएगा।


 श्री प्रेमानंद जी महाराज जी ने गोवर्धन परिक्रमा भी अपने गुरु चरणों के साथ की तब उनके साथ श्री कृष्ण भगवान ने भी उनके साथ कुछ लीलाएं की उदाहरण के तौर पर महाराज जी ने बताया की एक दिन जब वे अपने गुरुदेव भगवान के साथ है श्री गिरिराज जी की परिक्रमा कर रहे थे तब सुबह के लगभग 5:00 बजे थे तभी एक बालक 12 से 14 वर्ष का आकर महाराज जी से बोला कि ए बाबा कुछ पैसे हैं तो मुझे भी दो महाराज जी को पता नहीं चला कि यह भगवान है उन्होंने सोचा कि गिरिराज जी की परिक्रमा दिन और रात मैं लोगों का आना-जाना रहता है तो यह कोई साधन मनुष्य ही होगा तब महाराज जी ने उसे बालक को पैसे देने से इनकार कर दिया कि मेरे पास कोई रुपए नहीं है तब बालक ने महाराज जी से कहा कि नहीं आप झूठ बोल रहे हो आपके पास से पैसे हैं इस प्रकार महाराज जी और भगवान श्री कृष्ण के बीच वार्तालाप पर हुई बाद में महाराज जी से उनके गुरुदेव भगवान ने कहा कि आज भगवान श्री कृष्णा मिले थे तो प्रेमानंद जी महाराज जी ने मना कर दिया कि नहीं तब गुरुदेव भगवान ने उन्हें बताया कि जो बालक रुपए मांग रहा था वे स्वयं भगवान ही थे। तभी श्री प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं की वृंदावन के प्रत्येक मनुष्य को श्री राधा कृष्ण स्वरूप समझकर उनकी पूजा करनी चाहिए और भगवान का यहां नित्य वास है।


प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में कहां रहते हैं ?


प्रेमानंद जी महाराज उत्तर प्रदेश के वृंदावन के केली कुंज में निवास करते हैं। वहीं पर उनका आश्रम है आप वहां जाकर अपने प्रश्नों का उत्तर ले सकते हैं उनके में गेट के आगे आपको इंतजार करना है गुरुदेव भगवान के शिष्य आकर आपके प्रश्न को नोट करेंगे और आपको मिलने का समय बता दिया जाएगा।


प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन से मिलने का समय


प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन



दुनिया में लाखों का मेला लगा 

हंस जब-जब उड़ा अकेला उड़ा


हमें एक दिन मरना है यह तुम्हारा पद रुपए संबंध नाते रिश्ते प्रतिष्ठा सम्मान यह सब यही रह जाएंगे आपके साथ जाएगा तो सिर्फ भगवान का नाम इसलिए राधा राधा राधा राधा राधा राधा रेट रहिए न जाने कब हमारी आखिरी सांस हो समय दौड़ रहा है और हम अभी भी धन लोग माया के दलदल में फंसे हुए हैं मेरी बात मान लो सच्ची बताता हूं धन्य हो राधा राधा नाम जपो।


प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन

श्री प्रेमानंद जी महाराज पीले वस्त्र धारण किए हुए अपनी राधा रानी महारानी के नाम कीर्तन की अलख जगाई हुए वृंदावन धाम के केली कुंज में निवास करते हैं एवं संपूर्ण मानव जाति को सात्मरक एवं आध्यात्मिक मार्ग की ओर सही रास्ता दिखाने का वह अमूल्य कार्य कर रहे हैं जिसकी कीमत नहीं चुकाई जा सकती। वर्तमान में उनके शिष्यों के द्वारा निर्मित एक यूट्यूब चैनल है उनका जिसके माध्यम से भारत में देश-विदेश के लोग श्री प्रेमानंद जी महाराज जी के प्रवचनों को सुनते हैं। और उनके द्वारा बताई गई नैतिक प्रवचनों को अपने दैनिक जीवन में उतारने का कार्य भी देश विदेश की युवा एवं अन्य लोग कर रहे हैं।

ऐसे संत महात्मा भगवान की कृपा से कई सौ वर्षो में एक बार धरती पर जन्म देते हैं जो संपूर्ण मानव जाति के नैतिक मूल्यों को स्थापित कर उनको सही रास्ता दिखाते हैं श्री प्रेमानंद जी महाराज जी के प्रवचनों को सुनकर ना जाने कितनों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं वीडियो के माध्यम से लोग बताते हैं कि हमने महाराज जी के प्रवचन सुनने के बाद से झूठ बोलना छोड़ दिया शराब पीनी छोड़ दी एवं बुरे कर्मों का त्याग कर श्री गुरुदेव भगवान के वचनों के अनुसार चलने का प्रयास कर रहे हैं श्री प्रेमानंद जी महाराज जी के प्रवचनों में एक तेज आकर्षण एवं सच्चाई होती है जो मन को मोह लेती है।



प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज कौन है?

प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज का जन्म 
 कानपुर  जिले में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ. बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है. इनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और माता का नाम श्रीमती रामा देवी है. और श्री प्रेमानंद जी महाराज के गुरु का नाम श्री हित गोविंद शरण जी महाराज हैं । 




.




एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने
#

संपर्क फ़ॉर्म