DRDO full form

                            DRDO


About:-

नमस्कार दोस्तों आज हम जानेंगे DRDO के बारे में। DRDO क्या कार्य करता है और यह भारत के लिए कितना उपयोगी है और दूसरे देशों के लिए किताब कितना खतरनाक है और हमारे लिए कितना आवश्यक या जरूरी है कैसे हमारे डिफेंस सिस्टम को या भारतीय सेना को अपने साए की तरह साथ देता है और भयानक से भयानक युद्ध को जीतने में किस प्रकार सहायता करता है कैसे हमारे मिसाइल डिफेंस सिस्टम को ताकतवर बनाता है और इसका मूल उद्देश्य क्या है सभी को विस्तार पूर्वक जाने और क्या हम भी डीआरडीओ में प्रवेश ले सकते हैं और प्रवेश किस प्रकार लिया जा सकता है और क्या डीआरडीओ भारत में स्वदेशी तकनीक को बढ़ा रहा है जैसे हेलीकॉप्टर मिसाइल लड़ाकू विमान और सेना के हथियार आदि

DRDO
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 About DRDO :-


Full form:-

Defense research and development organization

DRDO अर्थात भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन है DRDO की स्थापना 1958 में हुई इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है डीआरडीओ का पहला अध्यक्ष दौलत सिंह कोठारी थे और वर्तमान में इसके अध्यक्ष ... है। यह एशिया का सबसे बड़ा संस्थान है इसका मूल मंतर :-"बल्सय मूलम विज्ञान"` है। 1964 में लड़ाकू विमानों का निर्माण करने के लिए एच ए एल का गठन हुआ एच ए एल:- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड। इसका मुख्यालय बेंगलुरु में स्थित है। भारत में मिसाइल कार्यक्रम की शुरुआत 1883 1384 में हुई। भारत में मिसाइल पुत्र के नाम से टेनिस थॉमस को जाना जाता है। भारत में मिसाइल के अंदर चांदी पुरा कलाम द्वीप और व्हीलर द्वप समूह है। 

भारत में दो प्रकार की मिसाइल हैं। पहली बैलेस्टिक और दूसरी क्रूज। बोले स्टिक मिसाइल:- इस मिसाइल पर गुरुत्वाकर्षण के नियम नहीं लगते हैं इसे दागने  के बाद नियंत्रित करना असंभव है। 

बैलेस्टिक मिसाइल कौन सी होती है :- सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल को बैलेस्टिक मिसाइल कहते हैं। उदाहरण पृथ्वी अग्नि आदि। टैंक को नष्ट करने वाली दो मिसाइलों के नाम:- नाग और दूसरी हेलिना 


बैलेस्टिक मिसाइल:-

सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों को बैलेस्टिक मिसाइल कहा जाता है। उदाहरण:- पृथ्वी फर्स्ट सेकंड और थर्ड जिसका दूसरा नाम धनुष भी है और इसका दूसरा उदाहरण अग्नि फर्स्ट सेकंड थर्ड फोर्थ और 5 जिसकी सर्वाधिक मारक क्षमता है और इसका तीसरा उदाहरण है अग्नि दो:- यह पूर्णता स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।
टैंक रोधी मिसाइल:- नागौर हेलीना

2) सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है:-

आकाश ,त्रिशूल ,बराक 1 से 8

सतह से हवा में मार करने वाली बराक इजराइल के सहयोग से तैयार की गई है भारत में। हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल:- अस्त्र 

क्रूज मिसाइल:-

यह मिसाइलGps तकनीक पर आधारित होती है तथा लक्ष्य को स्वयं खोज कर प्रहार करती है। भारत में निम्न क्रूज मिसाइलें हैं:-
पहली ब्रह्मोस दूसरी सुपरसोनिक ब्रह्मोस और तीसरी निर्भय यह पूर्ण तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार की गई है।

इसमें जीपीएस तकनीक नाम आया है यह रिमोट सेंसिंग के अंदर आता है तो हम सबसे पहले रिमोट सेंसिंग के बारे में जानेंगे उसके बाद जीपीएस सिस्टम के बारे में:-

रिमोट सेंसिंग या सुंदूर संवेदना:-

किसी वस्तु के भौतिक संपर्क में आए बिना समस्त आंकड़े ग्रहण कर लेना सुदूर संवेदना कहलाता है।
 भारतीय सुदूर संवेदी संस्थान हैदराबाद में स्थित है 
भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून में स्थित है भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान का नाम आईआरएस:- इंडियन रिमोट सेंसिंग है

 सुदूर संस्थान के उपयोग या कार्य:- भू सर्वेक्षण में एक नंबर दो मानचित्र में नंबर तीन संसाधनों का पता लगाने में भूमि में या पृथ्वी के अंदर सोने की खानों कोयले की खानों एवं विभिन्न तत्वों के बारे में जानकारी जुटाने का कार्य भी रिमोट सेंसिंग के द्वारा ही किया जाता है।

 भारत का पहला सुदूर संवेदी संस्थान या उपग्रह आईआरएस फर्स्ट ए 17 मार्च 1988 को मकान और कजाकिस्तान रूप से छोड़ा गया था।

              GPS SYSTEM  

Global posittioning system या वैश्विक अवसतान तंत्र:-

यह एक ऐसा तंत्र है जिसकी सहायता से किसी वस्तु की स्थिति दिशा व समय का ज्ञान होता है। यह प्रणाली अक्षांश व देशांतर और ऊंचाई पर आधारित है भारत का पहला जीपीएस उपग्रह 2005 में पीएसएलवी सिक्स प्रक्षेपित किया गया। सातवां जीपीएस उपग्रह पीएसएलवी 33 28 अप्रैल 2016 प्रक्षेपित हुआ। भारत के 18 वर्षीय छात्र दीपक शाहरुख ने दुनिया का सबसे छोटा उपग्रह बनाया जिसका नाम कलाम सेट है इसका वजन 64 ग्राम है 27 मई 2019 का आकाश एमके फर्स्ट सतह से हवा में मार करने वाली नवीनतम मिसाइल का परीक्षण किया गया है इसका परीक्षण बालासोर उड़ीसा में हुआ था

नव रैली ऐप:-

 गूगल कंपनी द्वारा तैयार किया गया भारतीय के लिए एक ऐप है  यह ऐप क्षत्रिय भाषा में गूगल की जानकारी देगा

ट्रांसफॉर्मिंग:- पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रह पर मानव का अस्तित्व या अध्ययन ही ट्रांसफॉर्मिंग है या कहलाता है। ट्रांसपोंडर विवरण:- हाइट ऑफ सेटेलाइट यह एक ऐसी युक्ति है जो उच्च आवृत्ति सिग्नल को निम्न आवर्ती सिग्नल में बदलती है। भारत में तीन प्रकार के सिग्नल बैंड हैं1)  s बैंड 2) सी बैंड 3) ku bend

1) s bend:-

इसकी आवृत्ति दो से चार मेगाहट्र्ज की होती है अर्थात यह निम्न आवर्ती का बैंड है। इसका उपयोग शेयर मार्केट बैंकिंग एटीएम आदि में किया जाता है।

2) C बैंड:-

 इसकी आवृत्ति 4 से 8 मेगाहट्र्ज होती है यह मध्यवर्ती का होता है इसका उपयोग रेडियो मोबाइल 2G 3G आदि में किया जाता है

3) ku bend:-

इसकी आवृत्ति 12 से 18 मेगाहट्र्ज की होती है यह उच्च आवृत्ति का बैंड होता है इसके उदाहरण ने ने डीटीएच एचडी 4G 5G आदि



जीन अभियांत्रिकी या GE 

जीएमओ विवरण:- जेनेटिकली मोडिफाइड ऑर्गेनाइज्म अर्थात बीज संवर्धित संगठन
जीएमओ द्वारा किसी जीव का अनुवांशिक संगठन बदलकर नई नस्ल तैयार करना ही जीन अभियांत्रिकी कहलाता है उदाहरण के तौर पर आपने पीछे की कक्षाओं में डोली बैठ के बारे में सुना ही होगा। जीन अभियांत्रिकी के जनक:- पोल वर्ग या न्यूयॉर्क

फादर ऑफ़ जेनेटिक कोड:- हरगोविंद खुराना जो एक भारतीय वैज्ञानिक थे। पहला ट्रांसजेनिक फसल:- टमाटर प्रथम संजीव ट्रांसजेनिक:- ग्लो फिश या झींगा मछली

ब्रिटेन ने जीन अभियांत्रिकी से क्लोराइड या सुनहरा चावल तैयार किया यह चावल पीले रंग का होता है जो भारत में भी उपयोग में लिया जाता है। इस चावल में विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होता है कोलकाता के डॉक्टर आशीष दत्त ने आलू तथा चोलाई के जीन को मिलाकर सुपर आलू का निर्माण किया इस आलू में प्रोटीन सर्वाधिक है।

Bt  कपास:- बीटी कॉटन के नाम से मशहूर कपास का बीज जो एक अमेरिकी कंपनी के द्वारा भारत में बेचा जाता है। एकमात्र कपास की फसल है जो ट्रांसजेनिक है तथा जिस पर भारत में रोक नहीं है यह कपास बाल बम रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता रखती है

टिशु कल्चर या उत्तक संवर्धन:- खोजकर्ता:- हे बर्लैंड

प्रयोगशाला में कम समय में नया पद तैयार करना ही उत्तक संवर्धन है उपयोग:- संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने में कम समय में उचित रसायन की प्राप्ति करने में

क्लोनिंग:-

किसी जीव की हूबहू प्रतिलिपि तैयार करना क्लोनिंग कहलाता है। विश्व का पहला कलंबोली नामक बेड का तैयार हुआ। डोली का निर्माण स्कॉटलैंड के यान विल्मोत ने किया। क्लोनिंग की प्रक्रिया 1ln गीत जन्म है। क्लोनिंग की क्रिया में भाग लेने वाला प्रत्येक सदस्य जेमेट कहलाता है डोली का जन्म 1996 में हुआ था जबकि इसका प्रकाश सन 1997 में हुआ वर्ष 2003 में फेफड़ों में संक्रमण के कारण डोली की मृत्यु हो गई थी।

NDRI


नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट:- राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान

नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट हरियाणा में विश्व का पहला भैंस का क्लोन तैयार किया जिसका नाम गरिमा फर्स्ट रखा गया थ
। 2009 में हर देगा या हार्ड अटैक के कारण गरिमा की मृत्यु हो गई थी उसके बाद में ऊंट का क्लोन तैयार किया गया जिसे इज्ज कहां गया और बिल्ली का भी क्लोन तैयार किया गया जिसे लिटिल निक्की कहा गय
और कुत्ते का भी क्लोन तैयार करा किया गया जिसे sunpy कहां गया है।

डच वैज्ञानिकों ने रोसीटे नामक गाय की नस्ल तैयार की है इस गाय में मानव के लेक्टोफेरेन जीन का परिवेश करवाया गया यह गाय इंसान की प्रवृत्ति का दूध देती है अमेरिका की वैली वैली कंपनी ने ईकोलाई जीवाणु द्वारा कृत्रिम रूप से इंसुलिन हार्मोन का निर्माण किया है।

अजोला:- यह नवीनतम कहां से है जो पशुओं में दूध वर्धक है यह कल की भांति व्यवहार करती है।

टोमेटो:- आलू तथा टमाटर को मिलाकर तैयार की गई नई किसम इस किस्म के पौधे के एक साथ आलू तथा टमाटर लगते हैं।

जैव पेटेंट:- नवीन खोज के लिए संबंधित व्यक्ति का अधिकार पत्र इसके लिए अधिनियम 1971 में बना जबकि कानून 1972 में बना भारत में जैव पेटेंट की अवधि 20 वर्ष की है अर्थात यदि कोई बात का व्यक्ति कोई नई खोज या कोई नई दवा का निर्माण करता है तो 20 वर्षों तक के कोई अन्य व्यक्ति उस दवा या उस आविष्कार से रुपए नहीं कमा सकता है अर्थात उस आविष्कार यादवा का मालिक एक ही रहेगा यह पेटेंट का लाभ होता है और पेटेंट खत्म होने के बाद उस आविष्कार या दवा का निर्माण कोई भी कर सकता है और पैसे कमा सकता है।

बायोपायरेसी:- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिना अनुमति के जीवो का अवैध व्यापार बायोपायरेसी कहलाता है यह गैरकानूनी है




           अंतरिक्ष विज्ञान

अंतरिक्ष विज्ञान की शुरुआत शीतयुद्ध के दौर मैं हुई जिसमें पूरी दुनिया के देश दो पक्षों में बनते थे एक पक्ष अमेरिका था और दूसरा  सोवियत संघ इस दौर में अमेरिका चाहता था कि मैं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ शक्तिशाली देश बनो पूरी दुनिया के देश मेरा वर्चस्व स्वीकार करें और दूसरी तरफ सोवियत संज्ञ आज का रूस चाहता था कि मैं दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनो और पूरी दोनों दुनिया के देश मेरा वर्चस्व स्वीकार करें  तो आप देखेंगे कि अंतरिक्ष इन दो देशों पर ही शुरुआती दौर में टिका हुआ था उसके बाद धीरे-धीरे अंतरिक्ष विज्ञान यूरोप महाद्वीप में भी फैला और उसके बाद दुनिया के विभिन्न देशों में अंतरिक्ष विज्ञान की शुरुआत हुई जिसमें से एक भारत भी है। अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में आज विस्तार पूर्वक अध्ययन करें


अंतरिक्ष युग की शुरुआत 4 अक्टूबर 1957 को रोशनी सपूत निक फर्स्ट आसमान में छोड़कर की। उसके बाद 3 नवंबर 1997 को रूस ने स्पूतनिक प्रथम जिसमें सजीव लाइक का नाम कुत्तिया को अंतरिक्ष में भेजकर एक सफल परीक्षण किया
उसके बाद अमेरिका ने 1958 में अमेरिका ने एक्सप्लोरर यान भेजा जो असफल रहा अंतरिक्ष मिशन में। 
विश्व का पहला यान जो चांद पर गया लूना प्रथम:- यह रूस ने 1959 में भेजा था।

भारत का पहला यान जो चांद पर गया वह चंद्रयान प्रथम था जो दिनांक 22 अक्टूबर 2008 को छोड़ा गया यह एक सफल परीक्षण था जिसे दुनिया के देशों ने देखकर भारत को भी अंतरिक्ष विज्ञान में अपना प्रमुख स्थान देना प्रारंभ कर दिया ।

उसके बाद रूस ने 1961 में वह तो प्रथम यूरी गार्गी को प्रथम अंतरिक्ष यात्री के रूप में भेजा जो एक सफल परीक्षण था। उसके बाद रूस ने दोबारा से 1965 में वोस्टॉक 6 वेलेंटीना टैरेशकोवा पहली महिला अंतरिक्ष में गई

20 जुलाई 1959 को अमेरिका ने अपोलो 11 यान अंतरिक्ष में भेजा जो एक सफल परीक्षण था जिसमें नील आर्म्सट्  नाम के वैज्ञानिक थे जिन्होंने प्रथम बार चंद्रमा पर कदम रखने का इतिहास रचा अर्थात प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने चंद्रमा पर सबसे पहला कदम रखा। चंद्रमा पर चहल कदमी करने वाला व्यक्ति अलेक्सा लियोनोर था जो अमेरिका का था 

शुरुआती दौर में रूस अमेरिका से बहुत आगे था पर धीरे-धीरे रूस की अर्थव्यवस्था समाजवादी होने के कारण वह पिछड़ गया और अमेरिका आगे बढ़ गया और अमेरिका वर्तमान में भी एक सुपर पावर के रूप में दुनिया के देशों के सामने आता है।
             
भारत के संदर्भ में पहला अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा था जो दिनांक 10 अप्रैल 1984 को गया था राकेश शर्मा अंतरिक्ष में थे उसी समय भारत के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी थी जिन्होंने राकेश शर्मा से पूछा की अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखाई देता है तभी उन्होंने अपने उत्तर के रूप में कहा था कि सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। यह मिशन भारत ने रूस की सहायता से भेजा था सोयूज यान के द्वारा।

भारत की पहली महिला जिसने अंतरिक्ष की सैर कि वह कल्पना चावला थी जो 1 फरवरी 2004 में गई थी। कोलंबिया दुर्घटना में पंचतत्व में विलीन हो गई थी यह अंतरिक्ष की शेयर करके वापस अपने यान में आ रहे थे तभी इनके यान में कुछ तकनीकी समस्या के कारण आग लग गई थी कल्पना चावला भी इसी यान में पंचतत्व में विलीन हो गई थी कल्पना चावला अमेरिका की अंतरिक्ष अनुसंधान की ओर से अंतरिक्ष की सैर पर गई हुई थी।

भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में सर्वाधिक समय का रिकॉर्ड बनाया है। इन्होंने 321 दिन 17 घंटे और 15 मिनट का समय अंतरिक्ष में बिताया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र 

                ISRO

Dr. विक्रम साराभाई के प्रयासों से 15 अगस्त 1969 को इसरो की स्थापना हुई   जिसका नाम इसरो रखा गया अर्थात इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन इसका मुख्यालय बेंगलुरु  कर्नाटक की राजधानी  मैं स्थित है।


पहला महानिदेशक किया चेयरमैन:- डॉक्टर विक्रम साराभाई थे। वर्तमान में इसके चेयरमैन या महानिदेशक:- गूगल के द्वारा पता करें

इसरो के अन्य महत्वपूर्ण संस्थान:- वी एस एस थुंबा या तिरुवंतपुरम या केरल


इसरो की व्यवसायिक इकाई बेंगलुरु है इसरो का द्रव्य प्रणोदक संस्थान महेंद्र गिरी तमिलनाडु में स्थित है और यू आर राव उपग्रह निर्माण केंद्र बेंगलुरु में स्थित है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र का उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र:- श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश में स्थित है और सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र भी है।

उउपग्रह नियंत्रण भारत में दो स्थानों से किया जाता है:- पहला हासन कर्नाटक और दूसरा भोपाल मध्य प्रदेश से

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का उपग्रह अनुप्रयोग केंद्र भी दो जगह है पहला अहमदाबाद और दूसरा जोधपुर राजस्थान इसरो का मानव अंतरिक्ष केंद्र बेंगलुरु में स्थित है भारत का पहला रॉकेट:- नायिका अपारो था जो 10 अप्रैल 1963 सोमवार से छोड़ा गया था

भारत के द्वारा छोड़े गए मुख्य अंतरिक्ष उपग्रह  

ट्रिक:- आभा रोए

1) आर्यभट्ट 19 अप्रैल 1975

भास्कर 7 जून 1969

आर्यभट्ट और भास्कर दोनों उपग्रह रूस के कानून अंतरिक्ष स्टेशन कजाकिस्तान से छोड़े गए।

रोहिणी 10 अप्रैल 1979 को छोड़ा गया

4)एप्पल  19 जून 1981 को छोड़ा गया 

एप्पल भारत का पहला दूरसंचार उपग्रह है। भारत में डीटीएच डायरेक्ट टू होम सर्विस या सेवा का प्रसारण 2006 में हुआ इसके लिए 2005 में आई इन सेट चार A उपग्रह छोड़ा गया 
E Dust 2004:- यह उपग्रह दूर स्थित शिक्षा प्रणाली को समर्पित विश्व का पहला उपग्रह है। 15 फरवरी 2017 को इसरो ने पीएसएलवी सी 37 द्वारा 104 उपग्रह एक साथ प्रति स्थापित किए जो एक विश्व रिकॉर्ड बन गया अधिकतम उपग्रह प्रतिस्थापित करने का

5 जून 2017 को जीएसएलवी मार्क 3 ने कुल 640 टन वजन का उपग्रह एक साथ प्रति सपित किए


जो एक विषय रिकॉर्ड बन गया भारत का। 12 अगस्त 2018 को नासा ने पार्कर सोलर प्रोब के नाम से एक मिशन तैयार किया जो सूर्य के तापमान के अध्ययन के लिए गया था।

इस तरह इसरो ने आदित्य एल प्रथम मिशन तैयार किया है जो 2021-22 मैं लांच या प्रक्षेपित करना था पर इसको भारत ने आगे बढ़ा दिया है यह मिशन सूर्य की सताओं के बारे में अध्ययन करने के लिए तैयार किया गया था यह भविष्य में सूर्य के अध्ययन के लिए भारत की ओर से छोड़ा जाएगा


22 मई 2019 को इसरो ने पीएसएलवी 46 यान द्वारा रीसेट दो बी उपग्रह का प्रक्षेपण किया। यह भारत का पहला जासूसी उपग्रह है।

 भारत  ने मानव को अंतरिक्ष की सैर करवाने हेतु मानव मिशन या गगन मिशन या विक्रम मिशन तैयार किया है।    

मानव मिशन या गगन में सोनिया विक्रम मिशन यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान द्वारा तैयार किया गया एक ऐसा मिशन है जिसके माध्यम से यदि किसी व्यक्ति को अंतरिक्ष में शेयर करने या घूमने की इच्छा हो तो वह अपना उचित किराया देकर अंतरिक्ष में भ्रमण कर सकता है और यह भ्रमण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की ओर से करवाया जाएगा। यह सब उसी प्रकार होगा जिस प्रकार हम गर्मियों में छुट्टियां मनाने के लिए विभिन्न पर्यटन स्थलों पर जाते हैं उसी प्रकार बहुत अमीर व्यक्त लोग अंतरिक्ष की सैर पर या पर्यटन पर जाएंगे

तमिलनडु
के 18 वर्षीय विद्यार्थी रितिक शाहरुख ने दुनिया का सबसे छोटा उपग्रह कलाम सेट बनाया है जिसका वजन 64 ग्राम है इसको प्रक्षेपण अगस्त 2018 में नासा ने किया

सेटेलाइट या उपग्रह

सेटेलाइट या ऊपर दो प्रकार के होते हैं पहला पृथ्वी तुल्य भूस्थिर उपग्रह या GSLVऔर दूसरा सूर्य तुल्य धूलिया कक्षा उपग्रह या PSLV


PSLV  या पृथ्वी तुल्य उपग्रह 


इसके द्वारा भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाता है यह लगभग 36000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित होता है इसका आवर्तकाल 24 घंटे में एक चक्कर लगाता है । इसका इंधन 3 चरणों में बंटा हुआ होता है इसका उद्देश्य:- बहुत उद्देश्य होते हैं जीएसएलवी का फुल फॉर्म:- जिओ स्टेशनरी सेटेलाइट लॉन्चिंग वहीकल  


जीएसएलवी सेटेलाइट में तीन प्रकार का इंजन होता है क्रायोजेनिक लिक्विड और सॉलिड अर्थात क्रायोजेनिक इंधन ठंडा रखने के काम आता है इसमें हाइड्रोजन माइनस 283 डिग्री सेल्सियस और ऑक्सीजन माइनस 183 डिग्री सेल्सियस होती हैं जीएसएलवी सेटेलाइट अधिक दूरी के उपग्रहों के प्रक्षेपण या लॉन्चिंग वाइकल के रूप में काम आता है।

GSLV या सूर्य तुल्य उपग्रह:-


जीएसएलवी उपग्रहों के अंतरिक्ष में ले जाने का एक वही कल  साधन है जिस प्रकार सवारियों को बस अपने स्टेशन पर छोड़कर वापस चली जाती है उसी प्रकार उपग्रहों को जीएसएलवी वही कल अंतरिक्ष में छोड़कर वापिस पृथ्वी पर आ जाते हैं। जीएसएलवी उपकरणों को धुरिया कक्षाओं में स्थापित करते हैं यह अधिकतम 800 से 1000 किलोमीटर की ऊंचाई तक  जाते हैं और उपग्रह को छोड़कर वापस आ जाते हैं इनको 84 से 90 मिनट का समय लगता है।


जीएसएलवी के उपयोग


यह भू सर्वेक्षण के काम में आती है यह 1 दिन में 15 से 16 चक्कर पृथ्वी के लगा लेता है और यह संसाधनों के जमीन के अंदर होने का भी पता लगा लेते हैं और यह मानचित्र बनाने में भी उपयोग मेला जाते हैं। पीएसएलवी में इंधन के चार चरण होते हैं।



सबसे ऊपर लिक्विड इंदन भरा जाता है उसके बाद सॉलिड ईंधन भरा जाता है उसके बाद दुबारा लिक्विड इंदन और चौथे चरण में वापिस सॉलिड इंधन भरा जाता है। सॉलिड ईंधन के रूप में एचडी बीपी तथा ऑक्सीकारक अमोनियम पर्कलोरेट काम में लिया जाता है जबकि लिक्विड ईंधन के रूप में यूडीएम तथा N2 O4 काम में लिया जाता है। 

Mom  या Mars orbital mission


5 नवंबर 2013 को सतीश धवन अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश से मंगल ग्रह पर जाने के लिए श्री राधाकृष्णन की अध्यक्षता में पीएसएलवी सी 25 लांच किया 

24 सितंबर 2014 को यह या मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया। भारत विश्व का एकमात्र पहला देश बना जिसने प्रथम प्रयास में ही मंगल पर विजय प्राप्त की। जिस पर वर्तमान में सन के नाम से एक फिल्म भी बन चुकी है उसमें अक्षय कुमार ने लीड रोल किया है।


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