शिक्षा से कैसे कमाए पैसे ? Morden mothed

About:-

आइए       दोस्तों      आज       हम      

जानते     हैं      कि     शिक्षा     से 

पैसे     कैसे      कमाए      जाते   हैं 

दुनिया     के    सबसे     अमीर    आदमी 

बनने      वाले     व्यक्तियों     के     जीवन

 में     शिक्षा     की     क्या      भूमिका     थी

 और     एक      मध्यमवर्गीय     गरीब   परिवार   

से       ऊपर      उठकर       एक       अमीर     

इंसान        कैसे     बना      जा     सकता    है 

आज     हम    आपको       विस्तार    पूर्वक    

बताएंगे     की     शिक्षा    से      पैसे     कैसे

 कमाए     जाते      हैं। 






शिक्षा से पैसे कैसे कमाए:-

शिक्षा से पैसे कैसे कमाए जाते हैं पूरी दुनिया में जितने भी लोग हैं इन सब के पास रुपए हैं  लेकिन  अमीरों की गिनती में नहीं आते हैं लेकिन जो अमीर हैं वह अमीर कैसे बने केवल अपनी शारीरिक मेहनत से। शारीरिक मेहनत तो खेत में किसान भी बहुत करता है लेकिन फिर भी वह कभी अमीर नहीं बन पाता दुनिया का अर्थात हमें पता चल गया कि केवल शारीरिक मेहनत से दुनिया का अमीर आदमी नहीं बना जा सकता इसके लिए हमें नए विचार या आइडिया की आवश्यकता होती है जैसे एडिसन ने बल्ब बनाया अर्थात उसके दिमाग में एक नया विचार या आइडिया आया कि एक बल्ब बनाते हैं अब सोचो पूरी दुनिया में 8 अरब लोग हैं और सभी को बल्ब की आवश्यकता है यदि मान लो  एक व्यक्ति 1 बल्ब खरीदता है ₹1 देकर।
 तो 8 अरब लोग  यदि एक बल्ब खरीदें तो भी अकेले एडिशन को 8 अरब रुपए अकेले हो जाते हैं और उसने केवल शिक्षा ग्रहण करके अपना दिमाग चलाया पैसा पाया और साथ में ही पूरी दुनिया भर में प्रसिद्धि यह है शिक्षा की असली ताकत चाहे वह एलोन मास्क बिल गेट्स होम या फिर सुंदर पिचाई हूं या सत्य नडेला हो आदि  आप पैसा बिजनेस से बढ़ता है और बिजनेस दिमाग से होता है और दिमाग है उच्च शिक्षा से विकसित होता है इसलिए जितनी अच्छी शिक्षा ग्रहण करेगा व्यक्ति वह उतने अधिक अपने जीवन में सफल होगा जैसे शिक्षा के जगत में खान सर विकास दिव्यकीर्ति सर फिजिक्स वाला आदि


यूट्यूब के माध्यम से










स्वयं की वेबसाइट बनाकर









हमें शिक्षा की क्यों आवश्यकता है:-

  
शिक्षा हमें गुलाम से इंसान बना देती है और इंसान से भगवान भी बना सकती है जैसे भगवान बुद्ध स्वामी विवेकानंद।
एक विद्यार्थी या बच्चे की सफलता में दो लोगों का हाथ होता है एक उसके गुरु का और दूसरा  उसके वातावरण या उसके मित्रों का। क्योंकि स्वामी विवेकानंद जी पढ़े-लिखे बहुत है लेकिन जब तक गुरु से ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ तब तक उन्हें सफलता नहीं मिली। और वातावरण और मित्रों की बात करें तो पांडव और कौरव ने एक ही गुरु से शिक्षा ग्रहण की थी लेकिन गौरव अर्थात दुर्योधन का वातावरण या संगत उसका मामा शकुनी था जो उसको समय-समय पर भटका कर कुमार अकबर चलाता रहा और दूसरी तरफ पांडव जो भगवान श्री कृष्ण के मित्र थे या उनके वातावरण में रहते थे।

अब जमाना केवल स्कूलिंग का नहीं बल्कि कॉन्पिटिशन स्कूलिंग का है:-

ग्रामीण विद्यार्थी लड़खड़ाते है। क्योंकि अब जमाना केवल स्कूलिंग का नहीं बल्कि कॉन्पिटिशन स्कूलिंग का है। अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा यह डायलॉग हाल ही में बनी फिल्म सुपर थर्टी का है जो आजकल बहुत ही सुर्खियां बटोर रहा है जिसमें बिहार के आनंद सर गरीब बच्चों को बिना फीस लिए उनकी योग्यता के अनुसार बच्चों को फ्री रहना फ्री पढ़ाना और यहां तक कि कि आईआईटी मैं बच्चों का सिलेक्शन करवाना और उन्हें इंजीनियर का बना  रहे हैं ऐसे प्रेरणादायक अध्यापकों की ग्रामीण क्षेत्रों में अति आवश्यकता है क्योंकि एक समय था जब केवल स्कूल की सामान्य पढ़ाई के माध्यम से ही विद्यार्थी केरियर की राह पर आगे बढ़ जाते थे क्योंकि उस समय साक्षरता बहुत कम थी इसलिए विद्यार्थी अपना कैरियर कम शिक्षा में भी बना सकते थे लेकिन धीरे-धीरे कॉन्पिटिशन का दौर बड़ा और 12वीं के बाद विभिन्न कंपटीशन की तैयारी करने लगे और 12वीं के बाद कंपटीशन की तैयारी शुरू करने वाले विद्यार्थी 1-2-3-4 साल में सफलता हासिल करने लगे समय के साथ 11वीं 12वीं के साथ कॉन्पिटिशन का दौर शुरू हुआ तो विद्यार्थी 12वीं के साथ या 1 साल एक्स्ट्रा तैयारी कर सफल होने लगे। लेकिन आज के जमाने की  एजुकेशन का दौर अब बहुत एडवांस हो गया है। कंपटीशन के इस दौर में राजस्थान के प्रसिद्ध एजुकेशन हब सीबीएसई आई सी एस ई आर बी एस ई में विद्यार्थियों की सूर्या शुरुआती कक्षाओं से ही रूटीन स्कूलिंग एवं बहुत सारी को करिकुलर एक्टिविटीज के साथ विभिन्न ओलंपियाड के माध्यम से कंपटीशन पर तैयार करना शुरू कर दिया है इसमें दयनीय स्थिति ग्रामीण क्षेत्र के मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों की है क्योंकि उन्हें तो यह भी नहीं पता की कक्षा 6 से ही उनके ही कक्षा के विद्यार्थी पढ़ाई के साथ ही फाउंडेशन कोर्स या साथ-साथ नौकरी का कोर्स भी कर रहे हैं जब ग्रामीण मध्यम वर्गीय परिवार का बच्चा कक्षा 12वीं पास करके शहर की तरफ नौकरी की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर में जाता है तब वह कक्षा 6 से तैयारी कर रहे उस बच्चे से कैसे कंपटीशन में आगे जा सकता है क्योंकि शहरी एवं जागरूक पेशेवर लोग अपने बच्चों को मल्टी एजुकेशनल हब में भेज देते हैं जो कक्षा 6 के साथ ही फाउंडेशन कोर्स के माध्यम से उनको आईआईटी नीट यूपीएससी आईएएस आईपीएस सीए आदि पदों की तैयारी कक्षा 6 से ही करवाना प्रारंभ कर देते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को तो यह पता ही नहीं होता कि कक्षा 6 में भी हम नौकरी की तैयारी कर सकते हैं इसी वजह से एक शहरी वह एजुकेशनल हब के पास रहने वाले लोग अधिक शिक्षित होकर अधिक सरकारी नौकरियां प्राप्त करते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कि ज्यादातर किसान अपने बच्चों को विद्यालय में ही भेजते हैं किसान स्वयं शिक्षित अधिक नहीं होते हैं जिसके कारण वे बच्चों का विद्यालय के में दीया होमवर्क भी नहीं देखते हैं और बच्चे तो नादान होते ही हैं कक्षा के सभी बच्चों में से दो या चार बच्चे ऐसे होते हैं जो अपना होमवर्क अच्छे से शिक्षक को ले जाकर जांच करवाते हैं बाकी सब अन्य कामों में व्यस्त हो जाते हैं या फिर उनके पिता ही उनको अपने अपने कार्यों में लगा लेते हैं और वे अपने पैतृक कार्य को ही अपने जीवन की रोजी रोटी बना लेते हैं लेकिन जो लोग अपने ग्रामीण क्षेत्रों से निकलकर एजुकेशनल हब में आते हैं एक अच्छी शिक्षा प्राप्त कर नौकरी प्राप्त करने के लिए वे भले ही नौकरी ने प्राप्त करें सरकारी लेकिन वह एक अच्छा रोजगार वहां से प्राप्त कर सकते हैं जैसे यदि कोई विद्यार्थी एक विषय के अंदर रुचि रखता है और वह उसको पढ़ाने में भी सक्षम है तो वह उसी एजुकेशनल हमें एक अध्यापक के रूप में अपनी सेवा दे सकता है और उसको महीने के लाखों रुपए रोजगार के रूप में मिल सकते हैं लेकिन यह तभी संभव है जब वह ग्रामीण क्षेत्र को छोड़कर शहरी क्षेत्र की ओर प्रवास करता है और वहां के वातावरण को देखता है इसी प्रकार एक अन्य उदाहरण और ले तो एजुकेशनल हब मैं आए बहुत से तैयारी करने वाले विद्यार्थी जब सरकारी नौकरी प्राप्त नहीं होती है तब वह वहीं पर अपना व्यापार जमा लेते हैं जैसे वहां पर हॉस्टल की सुविधा देने लगते हैं और महीनों के लाखों रुपए रोजगार प्राप्त कर लेते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में महीने के लाखों रुपए प्राप्त करना बहुत ही दुर्लभ होता है क्योंकि किसान सिर्फ खेती पर निर्भर रहता है और खेती वर्षा पर निर्भर रहती है। ग्रामीण क्षेत्र का बच्चा एजुकेशनल हब में शिक्षा तो प्राप्त करता ही है साथ में ही वह शहर के वातावरण व्यापारिक वातावरण को भी देखता है जिससे उसके भावी जीवन मैं रोजगार के विभिन्न अवसर भी खुल जाते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में तो वह अपने पैतृक कार्य ही करता रह जाता है।


शिक्षा में आधुनिक टेक्नोलॉजी  से पैसा कैसे कमाया जाता हैं :-

 एक अध्यापक अपने विषय में बहुत अच्छा पढ़ाता है तो वह यूट्यूब के माध्यम से अपनी ऑनलाइन करते हैं संपूर्ण देश भर में संचालित कर सकता है और यूट्यूब उसको पैसा देता है और साथ ही साथ वह अपना स्वयं का ऐप बनाकर उस पर अपना कोर्स बेचकर पैसे कमा सकता है जैसे खान सर फिजिक्स वाला विकास दिव्यकीर्ति सर एवं उत्कर्ष क्लासेज आदि शिक्षा मैं आधुनिक टेक्नोलॉजी का भरपूर फायदा और उठा रहे हैं और खूब पैसे कमा रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को आधुनिक टेक्नोलॉजी शहरी क्षेत्र के बच्चों से आगे निकलने के लिए एक सुनहरा अवसर देता है। क्योंकि वर्तमान युग में आधुनिक टेक्नोलॉजी जैसे मोबाइल के माध्यम से हम जिस क्षेत्र में जाना चाहते हैं उस क्षेत्र की सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं उससे संबंधित है सिलेबस या विषय वस्तु को हम इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं इसका सदुपयोग कर विद्यार्थी मल्टीनेशनल हब शहरी क्षेत्र के बच्चों से कंधे से कंधा मिलाकर चल सकते हैं लेकिन इन इसमें भी बहुत सी सावधानी बरतने की आवश्यकता है इसमें विद्यार्थी के माता-पिता को यह ध्यान में रखना चाहिए कि बच्चे को फोन में अनावश्यक चीजों की आदत ना लगे जैसे वीडियो गेमिंग खेलने लग जाए कार्टून कार्टून फिल्म नाटक आदि बुरी यादों से बचें क्योंकि दुनिया बहुत बदल रही है गरीब और गरीब होता जा रहा है और अमीर और अमीर होता जा रहा है क्योंकि गरीब आदमी शिक्षा प्राप्त कर सोचता कम और शारीरिक काम ज्यादा करता है लेकिन वर्तमान युग मानसिक कार्य से एक सेकंड में करोड़ों रुपए कमा कर दे सकता है जैसे मुकेश अंबानी के पास जिओ सिम मोबाइल बनाने के पैसे नहीं थे लेकिन उसके पास एक योजनाबद्ध प्लान या योजना थी मुकेश अंबानी ने गूगल से पैसे उधार लिए और जिओ सिम और मोबाइल दोनों बनाकर मार्केट में फ्री में बांट दिए और वह भी एक या 2 दिन फ्री में नहीं बनते बल्कि पूरे 2 से 3 वर्ष तक सिम और मोबाइल फ्री में बंटी और उसके बाद जब लगभग 120 करोड़ भारतीयों के पास उसके मोबाइल और सिम हो गए तब उसने ₹199 का 1 महीने का रिचार्ज कर दिया अब सोचो 120 करोड़ व्यक्ति यदि एक रुपए देते हैं तो तो 120 करोड रुपए केवल ₹1 के हिसाब से होते हैं अब 120 करोड को 199 से गुणा करने पर 23,880,000,000 रुपए होते हैं 1 महीने में कम आता है अब यदि यहां पर कोई गरीब गरीब अशिक्षित व्यक्ति होता तो रुपए उधार ही नहीं लेता और नाही इतने रुपए कमा पाता लेकिन वह एक शिक्षित व्यक्ति होने के कारण अपनी बुद्धि को काम में लेकर लाखों-करड़ों लोगों को रोजगार देता है एवं अपने माता-पिता का नाम रोशन कर अपने देश का भी नाम रोशन कर रहा है एक ग्रामीण व्यक्ति और एक शिक्षित व्यक्ति में अंतर आपके सामने है।

शिक्षा से बना खरबपति टिक टॉक का मालिक:-

शिक्षा से हम बहुत सारा पैसा कैसे कमा सकते हैं देखिए मैं आपको आंखों देखी कहानी सुनाता हूं कुछ ही दिन पहले की बात है टिकटोक पूरी दुनिया में छा गया था और भारत में भी अब एक बार आप सोच कर देखिए भारत की जनसंख्या 140 करोड़ है यदि 140 करोड़ भारतीय टिकटोक को 1 दिन के भी एक रुपए देता है तो 1 दिन का टिकटोक को सिर्फ भारत से 140 करोड रुपए मिलते हैं वो तो पूरी दुनिया से कितना पैसा कमाता है टिक टॉक का मालिक। तो आप सोचोगे कि इसमें शिक्षा का क्या योगदान है देखिए इस का शिक्षा में योगदान टिकटोक एक सॉफ्टवेयर है जिसे किसी इंसान ने बनाया होगा अब वह इंसान किसी विद्यालय में पढ़ा होगा उसके बाद में उसने आईआईटी की होगी उसके बाद वह इंजीनियर बना उसके बाद उसने सॉफ्टवेयर बनाना सिखा क्या टिकटों किया सॉफ्टवेयर पढ़ाई के बिना बना पाता है नहीं बना पाता आप वर्तमान में तो उसकी कमाई अरबों खरबों में देखने हैं लेकिन उसके पीछे जो उसका बैकग्राउंड है पढ़ाई का वह नहीं देखते हैं हम हम सिर्फ चीजों को उपयोग में ले लेते हैं कभी यह नहीं सोचते कि यह चीज किसने बनाई इससे कितना रुपए इसका मालिक कमा रहा है कितना रुपए इस वस्तु की कीमत है यदि यह प्रश्न हमारे दिमाग में आने लग जाए तो हम धीरे-धीरे रुपए कमाने के रास्ते पर चल पड़े है। 


सफल इंसान की एक टैगलाइन होती है वह एक व्यक्ति से ₹1 कमाना चाहता है ना कि एक ही व्यक्ति से ₹100 जबकि मध्यमवर्गीय या गरीब एक ही व्यक्ति से अधिक से अधिक पैसा लेना चाहता है।

अब आप सोचिए सफल आदमी सिर्फ एक व्यक्ति से ₹1 चाहता है और हम अपने मालिक से बहुत सारे रुपए चाहते हैं इसीलिए हम अमीर नहीं बन सकते हम अपना दिमाग नहीं चलाते हैं और हमारा मालिक होता है वह दिमाग चलाता है और हम ही से काम करवाता है और हम ही उसको पैसा देते हैं। 


 गूगल का सीईओ  सुंदर पिचाई ने शिक्षा से क्या प्राप्त किया:-

    गूगल के वर्तमान सीईओ सुंदर पिचाई का जन्म दक्षिण भारत मैं हुआ उन्होंने अपनी विद्यालय शिक्षा को भारत में पूर्ण किया उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे उनकी माता ग्रहणी थी सुंदर पिचाई बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे थे और बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग का व्हिच सुनकर आईआईटी खड़कपुर से डिग्री प्राप्त की और उसके बाद वे अमेरिका चले गए वहां पर उन्होंने खूब मेहनत की और बहुत सारी कंपनियों में जॉब करने के पश्चात गूगल में अपना रिज्यूम दिया और वहां पर अपना इंटरव्यू देने के बाद फाइनली सिलेक्ट हो गए उसके बाद तो सुंदर पिचाई जी की लाइफ में मानव चार चांद लग गए हैं अर्थात उनके जीवन का ग्राफ ऊंचाई की तरफ बढ़ता ही गया  सुंदर पिचाई के जीवन की एक घटना को आपके साथ साझा करना चाहता हूं बहुत ही प्रेरणादायक कहानियां 1 दिन क्या हुआ की सुंदर पिचाई की वाइफ में अमेरिका में अपनी सहेली को थाने पर जाने का वादा किया अपने पति के साथ यानी सुंदर पिचाई के साथ और उसी सुबह सुंदर पिचाई गूगल ऑफिस के लिए चले गए और ऑफिस में उस दिन काम बहुत था वह काम में बिजी हो गए हो रे कहीं जाना है वह बात भूल गए उसके बाद उनके पास अपनी पत्नी का फोन आया तो वह घर गए घर से दोनों वाइफ हसबैंड साथ ही निकले गाड़ी में और सुंदर पिचाई गलती से रास्ता भूल गए और दूसरे रास्ते चले गए रास्ता भटकने के कारण उन्हें डिनर पर पहुंचते-पहुंचते बहुत देर हो चुकी थी यह बात उनकी वाइफ को बहुत बुरी लगी और उनका और उनका आपस में मिठास हो झगड़ा हो गया अगले दिन जब सुंदर पिचाई ने ऑफिस में यह सोचा कि यह घटना मेरे साथ हुई है न जाने विश्व में कितने लोगों के साथ रोज यह घटना घटती होगी और तब उनके दिमाग में आया की हमें एक गूगल मैप नाम का ऐप बनाना चाहिए  

जो लोगों को सही समय पर सही जगह पहुंचा सके और आज गूगल मैप पूरी दुनिया भर में चलता है और लोगों को सही रास्ता दिखाता है और सही समय पर पहुंच जाता है लोगों को तो फायदा होता ही होता है साथ साथ गूगल भी गूगल मैप के जरिए अरबों रुपए दिन के कमाता है। यह गूगल मैप का कंसेप्ट सुंदर पिचाई के दिमाग में शिक्षा के जरिए हुआ उनकी शिक्षा हमें सीधे ही रुपए नहीं देती हमारे दिमाग को विकसित करती है और हमारा दिमाग विकसित होने के बाद नए-नए आइडिया या विचार हमारे पास उत्पन्न होने लगते हैं और उनको हम हमारे व्यवहारिक जीवन में उतारकर लोगों की समस्याओं का समाधान करते हुए सुंदर पिचाई की तरह अर्थात गूगल मैप की तरह बहुत से रुपए कमा सकते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने
#

संपर्क फ़ॉर्म