diversity due to disability
(विकलांगता के कारण विविधता)
अच्छा, चलिए मैं पहले "पक्ष" यानी समर्थन के पक्ष की ओर बढ़ता हूँ:
पक्ष (Pros):
1. समाज में न्याय:
दिव्यांग व्यक्तियों की शामिलीनता समाज में न्याय की दिशा में एक प्रमुख कदम है। इससे समाज में अधिकतम सामाजिक और आर्थिक उपयोग उन्हें पहुंचते हैं।
2. विशेषता का सम्मान:
दिव्यांगता को समाज में मान्यता देना और उनके योगदान की समीक्षा करना समाज की सांस्कृतिक और नैतिक विशेषता को बढ़ाता है।
3. **आवश्यक रूप से ज्ञान और कौशल की वृद्धि:**
दिव्यांग लोगों की समाज में शामिलीनता उन्हें अधिक शिक्षा और प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करती है, जो उन्हें स्वतंत्र और स्वावलम्बन के साथ अपनी ज़िंदगी को निर्मित करने में मदद करता है।
4. **विविधता और आवश्यकता का समझ:**
दिव्यांगता की शामिलीनता समाज को विविधता और आवश्यकताओं की गहरी समझ करने में मदद करती है। यह लोगों को सहानुभूति और सहयोग के लिए जागरूक करता है।
5. **नई तकनीकी और व्यावसायिक संभावनाएं:**
अनुकूलन की विभिन्नता के कारण, नए तकनीकी और व्यावसायिक संभावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो न केवल दिव्यांग व्यक्तियों को लाभ पहुंचाती हैं बल्कि समाज को भी नए आवेगों और अवसरों की दिशा में ले जाती हैं।
6. डाइवर्सिटी ड्यू टू डिसेबिलिटी के माध्यम से समाज में समानता को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
2. डिसेबिलिटी के लोगों को भी समाज में सम्मान और मौके का अधिकार है, और इससे समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
3. डाइवर्सिटी ड्यू टू डिसेबिलिटी को बढ़ावा देने से समाज में अधिक संवेदनशीलता और समरसता आती है।
दुनिया के अधिकांश प्रसिद्ध लोगों ने विकलांगता के साथ अपने पेशे में उत्कृष्टता हासिल की और मानवता के लिए बहुत योगदान दिया। उदाहरण के लिए, अल्बर्ट आइंस्टीन, एफडीरूजवेल्ट, स्टीव जॉब्स, हेलेन केलर, स्टीफ़न हॉकिंग आदि। हम जानते हैं कि हेलेन केलर (1880-1968) एक अमेरिकी लेखक, कार्यकर्ता और अमेरिका में व्याख्याता थीं। वह कला स्नातक की डिग्री हासिल करने वाली पहली बधिर और अंधी व्यक्ति थीं। वह पाँच भाषाएँ बोल सकती थीं और उन्होंने चौदह शास्त्रीय रचनाएँ लिखी थीं। जब वह 19 महीने की थी, तब उसने देखने और सुनने की क्षमता खो दी थी। सीखने में अक्षमता के बावजूद उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया और सफल रहीं। उसने अपनी शिक्षिका एनी सुलिवन के होठों और ध्वनि कंपन को छूकर और महसूस करके भाषा सीखी। यह सभी के लिए प्रेरणा हो सकती है, लेकिन यह इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह साबित करता है कि एक समर्पित शिक्षक किसी भी विकलांगता के लिए नई शिक्षण तकनीक बनाने के लिए अविश्वसनीय विचार बना सकता है। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक, स्टीफ़न हॉकिंग (1942-208), जिन्हें 21 साल की उम्र में एमियोट्रोफ़िक लेटरल स्क्लेरोसिस या एएलएस का निदान किया गया था, यह कई प्रकार की मोटर न्यूरॉन बीमारियों में से एक है। यह धीरे-धीरे रोगियों को पंगु बना देता है, आमतौर पर भीतर ही मर जाता है लगभग चार साल. 14 मार्च 2018 को, हॉकिंग की अंततः उस बीमारी से मृत्यु हो गई जिसके बारे में माना जाता था कि 50 साल से भी पहले उनकी मौत हो गई थी।
अब हम दिव्यांगता की शामिलीनता के विपक्ष (कंस) के बारे में चर्चा करेंगे:
विपक्ष:
विपक्ष (Cons):
1. **आर्थिक बोझ:**
दिव्यांगता की शामिलीनता का प्रबल होना सामाजिक और आर्थिक बोझ बढ़ा सकता है, क्योंकि अधिकतम तकनीकी और अन्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए संचालन की लागत वृद्धि हो सकती है।
2. **सामाजिक संघर्ष:** अनुकूलन के कई पहलू हो सकते हैं, जिनमें सामाजिक और मनोवैज्ञानिक संघर्ष शामिल हो सकता है, जैसे स्थिति के प्रति असमंजस, समाज में स्थिति की अप्रासंगिकता और बाधाएं।
3. **संगठनात्मक परिवर्तन:** संगठनों को दिव्यांग लोगों के लिए समाज में अधिक सहयोगी और अधिक आर्थिक और व्यक्तिगत संभावनाएं प्रदान करने की आवश्यकता होती है, जो कई बार संगठनात्मक परिवर्तन का कारण बन सकती है।
4. **योजना की अभाव:** कुछ स्थानों में, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उपयुक्त योजनाओं की कमी होती है, जिसका परिणाम हो सकता है उनके अधिकारों की नाकाफ़ी समर्थन और उनकी पहुंच की कटोती।
5. **परिवार के दबाव:** कई बार परिवारों को अपने दिव्यांग सदस्यों के लिए समर्थन प्रदान करने में भारी दबाव महसूस होता है, जो उनके भविष्य की चिंता को बढ़ा सकता है।
इस तरह, दिव्यांगता की शामिलीनता के लाभों और बाधाओं को मध्यस्थ परिस्थितियों के माध्यम से विश्लेषित करना आवश्यक है। इसका सही संतुलन ध्यान में रखा जाना चाहिए, ताकि समाज में सभी व्यक्तियों को समान अवसर मिल सकें।
1. कुछ लोग डाइवर्सिटी और डिसेबिलिटी को एक तरह का समस्यात्मक दृष्टिकोण मानते हैं और उन्हें अलग करने की कोशिश करते हैं।
2. कई स्थानों पर डिसेबिलिटी के लोगों को उनके अधिकारों को पूरा करने में अभाव का सामना करना पड़ता है।
3. डाइवर्सिटी और डिसेबिलिटी के मामले में उच्चतम स्तर पर जागरूकता और समर्थन की आवश्यकता है।